<no title>भारत का गौरवशाली इतिहास भाग-1 सिंधु घाटी सभ्यता अंग्रेजी इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है तो वह भारत का इतिहास है। अंग्रेजो और वर्तमान भारतीय ऐतिहासिक पाठ्यक्रम में भारत के इतिहास का प्रारंभ सिन्धु घाटी की सभ्यता से होता है जिसे हड़प्पा कालीन सभ्यता या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है । बताया जाता है कि वर्तमान सिन्धु नदी के तटों पर 3500 BC (ईसा पूर्व) में एक विशाल नगरीय सभ्यता विद्यमान थी मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल आदि इस सभ्यता के नगर थे। पहले इस सभ्यता का विस्तार सिंध, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि बताया जाता था किन्तु अब इसका विस्तार समूचा भारत,तमिलनाडु से वैशाली बिहार तक, पूरा पाकिस्तान व अफगानिस्तान तथा ईरान का हिस्सा तक पाया जाता है। अब इसका समय बदलकर 7000 BC से भी प्राचीन बताया गया है और इस प्राचीन सभ्यता की सीलों, टेबलेट्स और बर्तनों पर जो लिखावट पाई जाती है उसे सिन्धु घाटी की लिपि कहा जाता है। इतिहासकारों का दावा है कि यह लिपि अभी तक अज्ञात है और पढ़ी नहीं जा सकी है जबकि सिन्धु घाटी की लिपि से समकक्ष और तथाकथित प्राचीन सभी लिपियां जैसे – इजिप्ट, चीनी, फोनेशियाई, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई आदि सब पढ़ ली गयी हैं। आजकल कम्प्यूटरों की सहायता से अक्षरों की आवृत्ति का विश्लेषण कर मार्कोव विधि से प्राचीन भाषा को पढ़ना सरल हो चुका है अर्थात सिन्धु घाटी की लिपि को जानबूझ कर नहीं पढ़ा गया और न ही इसको पढ़ने के सार्थक प्रयास किये गए है। भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद (Indian Council of Historical Research) जिस पर पहले जियोनिस्ट अंग्रेजो और फिर इनके तैयार किये गए काले जियोनिस्ट कम्युनिस्टों का कब्ज़ा रहा और यही कारण है कि सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने की कोई भी विशेष योजना नहीं बनाई गई। अब सवाल है आखिर ऐसा क्या था सिन्धु घाटी की लिपि में? अंग्रेज इतिहासकार और कम्युनिस्ट इतिहासकार क्यों नहीं चाहते कि सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ा जाए? मतलब साफ है अंग्रेज और कम्युनिस्ट इतिहासकारों की नज़रों में सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने में निम्नलिखित खतरे हैं जिससे उनके फैलाये झूठे इतिहास का भंडाफोड़ हो जाएगा– 1. सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने के बाद उसकी प्राचीनता और अधिक पुरानी सिद्ध हो जायेगी इजिप्ट, चीनी, रोमन, ग्रीक, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई से भी पुरानी, जिससे पता चलेगा कि यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है भारत का महत्व बढ़ेगा, जो जियोनिस्ट अंग्रेज और कम्युनिस्ट इतिहासकारों को बर्दाश्त नहीं होगा। 2. सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने से अगर वह प्राचीन सनातन सभ्यता साबित हो गयी तो अंग्रेजों और कम्युनिस्टों द्वारा फैलाये गए आर्य- द्रविड़ युद्ध वाले प्रोपोगंडा के ध्वस्त हो जाने का सबसे बड़ा डर है। 3. अंग्रेज और कम्युनिस्ट इतिहासकारों द्वारा दुष्प्रचारित "आर्य बाहर से आई हुई आक्रमणकारी जाति है"और इसने यहाँ के मूल निवासियों अर्थात सिन्धु घाटी के लोगों को मार डाला व भगा दिया और उनकी महान सभ्यता नष्ट कर दी, वे लोग ही जंगलों में छुप गए दक्षिण भारतीय (द्रविड़) बन गए,शूद्र व आदिवासी बन गए आदि आदि फालतू के झूठे तथ्य गलत साबित हो जाएंगे। और यही फर्जी इतिहासकार सिन्धु घाटी की लिपि को सुमेरियन भाषा से जोड़ कर पढ़ने का प्रयास करते रहते हैं तो कुछ इजिप्शियन भाषा से, कुछ चीनी भाषा से, कुछ इनको मुंडा आदिवासियों की भाषा और तो और कुछ इनको ईस्टर द्वीप के आदिवासियों की भाषा से जोड़ कर पढ़ने का प्रयास करते रहे हैं। अर्थात ये सारे प्रयास असफल साबित हुए और सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने में निम्लिखित समस्याएं बताई जाती हैं – सभी लिपियों में अक्षर कम होते हैं जैसे अंग्रेजी में 26, देवनागरी में 52 आदि मगर सिन्धु घाटी की लिपि में लगभग 400 अक्षर चिन्ह हैं। इनके अनुसार सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने में यह कठिनाई आती है कि इसका काल 7000 BC से 1500 BC तक का है जिसमे लिपि में अनेक परिवर्तन हुए साथ ही लिपि में स्टाइलिश वेरिएशन बहुत पाया जाता है लोथल और कालीबंगा में सिन्धु घाटी व हड़प्पा कालीन अनेक पुरातात्विक साक्षों का अवलोकन किया गया है पर सारा डेटा छिपाया गया है। भारत की प्राचीनतम लिपियों में से एक लिपि है जिसे ब्राह्मी लिपि कहा जाता है इस लिपि से ही भारत की अन्य भाषाओँ की लिपियां बनी यही लिपि प्राचीन काल से गुप्त काल तक उत्तर पश्चिमी भारत में उपयोग की जाती थी संस्कृत और पाली,प्राकृत के अनेक ग्रन्थ ब्राह्मी लिपि में प्राप्त होते हैं। सिन्धु घाटी की लिपि और ब्राह्मी लिपि में अनेक आश्चर्यजनक समानताएं है साथ ही ब्राह्मी और तमिल लिपि का भी पारस्परिक सम्बन्ध है इस आधार पर सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने का सार्थक प्रयास सुभाष काक और इरावाथम महादेवन ने किया। सिन्धु घाटी की लिपि के लगभग 400 अक्षर के बारे में यह माना जाता है कि इनमें कुछ वर्णमाला (स्वर व्यंजन मात्रा संख्या), कुछ यौगिक अक्षर और शेष चित्रलिपि हैं. अर्थात यह भाषा अक्षर और चित्रलिपि का संकलन समूह है विश्व में ऐसी कोई भी भाषा इतनी सशक्त और समृद्ध नहीं है जितनी सिन्धु घाटी की भाषा है। जिस प्रकार सिन्धु घाटी की लिपि पशु के मुख की ओर से अथवा दाएं से बाएं लिखी जाती है उसी प्रकार ब्राह्मी लिपि भी दाएं से बाएं लिखी जाती है सिन्धु घाटी की लिपि के लगभग 3000 टेक्स्ट प्राप्त हैं। इनमे वैसे तो 400 अक्षर चिन्ह हैं लेकिन 39 अक्षरों का प्रयोग 80 प्रतिशत बार हुआ है और ब्राह्मी लिपि में 45 अक्षर है हम इन 39 अक्षरों को ब्राह्मी लिपि के 45 अक्षरों के साथ समानता के आधार पर मैपिंग कर सकते हैं और उनकी ध्वनि का पता लगा सकते हैं। ब्राह्मी लिपि के आधार पर सिन्धु घाटी की लिपि पढ़ने पर सभी संस्कृत के शब्द आते हैं जैसे – श्री, अगस्त्य, मृग, हस्ती, वरुण, क्षमा, कामदेव, महादेव, कामधेनु, मूषिका, पग, पंच मशक, पितृ, अग्नि, सिन्धु, पुरम, गृह, यज्ञ, इंद्र, मित्र आदि निष्कर्ष यह है कि – 1. सिन्धु घाटी की लिपि ब्राह्मी लिपि की पूर्वज लिपि है। 2. सिन्धु घाटी की लिपि को ब्राह्मी के आधार पर पढ़ा जा सकता है। 3. उस काल में संस्कृत भाषा थी जिसे सिन्धु घाटी की लिपि में लिखा गया था। 4. सिन्धु घाटी के लोग सनातन धर्म और संस्कृति को मानते थे। 5. सनातन धर्म अत्यंत प्राचीन है 7000 BC से भी कहीं अधिक प्राचीन। अर्थात सनातन हिन्दू सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन व मूल सभ्यता है और सिंधु सभ्यता उसी का अभिन्न अंग हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार हिन्दुओं का प्राचीन मूल निवास जम्बूद्वीप सप्त सैन्धव प्रदेश ( सिन्धु सरस्वती क्षेत्र) था जिसका विस्तार ईरान से सम्पूर्ण भारत देश तक था यही सिंधु घाटी सभ्यता थी। जय श्री राम ⚔️🦁🚩

भारत का गौरवशाली इतिहास


भाग-1


सिंधु घाटी सभ्यता


अंग्रेजी इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है तो वह भारत का इतिहास  है।


अंग्रेजो और वर्तमान भारतीय ऐतिहासिक पाठ्यक्रम में भारत के इतिहास का प्रारंभ सिन्धु घाटी की सभ्यता से होता है जिसे हड़प्पा कालीन सभ्यता या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है ।


बताया जाता है कि वर्तमान सिन्धु नदी के तटों पर 3500 BC (ईसा पूर्व) में एक विशाल नगरीय सभ्यता विद्यमान थी मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल आदि इस सभ्यता के नगर थे।


पहले इस सभ्यता का विस्तार सिंध, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि बताया जाता था किन्तु अब इसका विस्तार समूचा भारत,तमिलनाडु से वैशाली बिहार तक, पूरा पाकिस्तान व अफगानिस्तान तथा ईरान का हिस्सा तक पाया जाता है।


अब इसका समय बदलकर 7000 BC  से भी प्राचीन बताया गया है और इस प्राचीन सभ्यता की सीलों, टेबलेट्स और बर्तनों पर जो लिखावट पाई जाती है उसे सिन्धु घाटी की लिपि कहा जाता है।


इतिहासकारों का दावा है कि यह लिपि अभी तक अज्ञात है और पढ़ी नहीं जा सकी है जबकि सिन्धु घाटी की लिपि से समकक्ष और तथाकथित प्राचीन सभी लिपियां जैसे – इजिप्ट, चीनी, फोनेशियाई, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई आदि सब पढ़ ली गयी हैं।


आजकल कम्प्यूटरों की सहायता से अक्षरों की आवृत्ति का विश्लेषण कर मार्कोव विधि से प्राचीन भाषा को पढ़ना सरल हो चुका है अर्थात सिन्धु घाटी की लिपि को जानबूझ कर नहीं पढ़ा गया और न ही इसको पढ़ने के सार्थक प्रयास किये गए है।


भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद (Indian Council of Historical Research) जिस पर पहले जियोनिस्ट अंग्रेजो और फिर इनके तैयार किये गए काले जियोनिस्ट कम्युनिस्टों का कब्ज़ा रहा और यही कारण है कि सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने की कोई भी विशेष योजना नहीं बनाई गई।


अब सवाल है आखिर ऐसा क्या था सिन्धु घाटी की लिपि में?


अंग्रेज इतिहासकार और कम्युनिस्ट इतिहासकार क्यों नहीं चाहते कि सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ा जाए?


मतलब साफ है अंग्रेज और कम्युनिस्ट इतिहासकारों की नज़रों में सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने में निम्नलिखित खतरे हैं जिससे उनके फैलाये झूठे इतिहास का भंडाफोड़ हो जाएगा–


1. सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने के बाद उसकी प्राचीनता और अधिक पुरानी सिद्ध हो जायेगी इजिप्ट, चीनी, रोमन, ग्रीक, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई से भी पुरानी, जिससे पता चलेगा कि यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है भारत का महत्व बढ़ेगा, जो जियोनिस्ट अंग्रेज और कम्युनिस्ट इतिहासकारों को बर्दाश्त नहीं होगा।


2. सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने से अगर वह प्राचीन सनातन सभ्यता साबित हो गयी तो अंग्रेजों और कम्युनिस्टों द्वारा फैलाये गए आर्य- द्रविड़ युद्ध वाले प्रोपोगंडा के ध्वस्त हो जाने का सबसे बड़ा डर है।


3. अंग्रेज और कम्युनिस्ट इतिहासकारों द्वारा दुष्प्रचारित "आर्य बाहर से आई हुई आक्रमणकारी जाति है"और इसने यहाँ के मूल निवासियों अर्थात सिन्धु घाटी के लोगों को मार डाला व भगा दिया और उनकी महान सभ्यता नष्ट कर दी, वे लोग ही जंगलों में छुप गए दक्षिण भारतीय (द्रविड़) बन गए,शूद्र व आदिवासी बन गए आदि आदि फालतू के झूठे तथ्य गलत साबित हो जाएंगे।


और यही फर्जी इतिहासकार सिन्धु घाटी की लिपि को सुमेरियन भाषा से जोड़ कर पढ़ने का प्रयास करते रहते हैं तो कुछ इजिप्शियन भाषा से, कुछ चीनी भाषा से, 
कुछ इनको मुंडा आदिवासियों की भाषा और तो और कुछ इनको ईस्टर द्वीप के आदिवासियों की भाषा से जोड़ कर पढ़ने का प्रयास करते रहे हैं।


अर्थात ये सारे प्रयास असफल साबित हुए और सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने में निम्लिखित समस्याएं बताई जाती हैं –
सभी लिपियों में अक्षर कम होते हैं जैसे अंग्रेजी में 26, देवनागरी में 52 आदि मगर सिन्धु घाटी की लिपि में लगभग 400 अक्षर चिन्ह हैं।


इनके अनुसार सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने में यह कठिनाई आती है कि इसका काल 7000 BC से 1500 BC तक का है जिसमे लिपि में अनेक परिवर्तन हुए साथ ही लिपि में स्टाइलिश वेरिएशन बहुत पाया जाता है लोथल और कालीबंगा में सिन्धु घाटी व हड़प्पा कालीन अनेक पुरातात्विक साक्षों का अवलोकन किया गया है पर सारा डेटा छिपाया गया है।


भारत की प्राचीनतम लिपियों में से एक लिपि है जिसे ब्राह्मी लिपि कहा जाता है इस लिपि से ही भारत की अन्य  भाषाओँ की लिपियां बनी यही लिपि प्राचीन काल से गुप्त काल तक उत्तर पश्चिमी भारत में उपयोग की जाती थी संस्कृत और पाली,प्राकृत के अनेक ग्रन्थ ब्राह्मी लिपि में प्राप्त होते हैं।


सिन्धु घाटी की लिपि और ब्राह्मी लिपि में अनेक आश्चर्यजनक समानताएं है साथ ही ब्राह्मी और तमिल लिपि का भी पारस्परिक सम्बन्ध है इस आधार पर सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ने का सार्थक प्रयास सुभाष काक और इरावाथम महादेवन ने किया।


सिन्धु घाटी की लिपि के लगभग 400 अक्षर के बारे में यह माना जाता है कि इनमें कुछ वर्णमाला (स्वर व्यंजन मात्रा संख्या), कुछ यौगिक अक्षर और शेष चित्रलिपि हैं.
अर्थात यह भाषा अक्षर और चित्रलिपि का संकलन समूह है विश्व में ऐसी कोई भी भाषा इतनी सशक्त और समृद्ध नहीं है जितनी सिन्धु घाटी की भाषा है।


जिस प्रकार सिन्धु घाटी की लिपि पशु के मुख की ओर से अथवा दाएं से बाएं लिखी जाती है उसी प्रकार ब्राह्मी लिपि भी दाएं से बाएं लिखी जाती है सिन्धु घाटी की लिपि के लगभग 3000 टेक्स्ट प्राप्त हैं।


इनमे वैसे तो 400 अक्षर चिन्ह हैं लेकिन 39 अक्षरों का प्रयोग 80 प्रतिशत बार हुआ है और ब्राह्मी लिपि में 45 अक्षर है हम इन 39 अक्षरों को ब्राह्मी लिपि के 45  अक्षरों के साथ समानता के आधार पर मैपिंग कर सकते हैं और उनकी ध्वनि का पता लगा सकते हैं।


ब्राह्मी लिपि के आधार पर सिन्धु घाटी की लिपि पढ़ने पर सभी संस्कृत के शब्द आते हैं जैसे –


श्री, अगस्त्य, मृग, हस्ती, वरुण, क्षमा, कामदेव, महादेव, कामधेनु, मूषिका, पग, पंच मशक, पितृ, अग्नि, सिन्धु, पुरम, गृह, यज्ञ, इंद्र, मित्र आदि


निष्कर्ष यह है कि –


1. सिन्धु घाटी की लिपि ब्राह्मी लिपि की पूर्वज लिपि है।


2. सिन्धु घाटी की लिपि को ब्राह्मी के आधार पर पढ़ा जा सकता है।


3. उस काल में संस्कृत भाषा थी जिसे सिन्धु घाटी की लिपि में लिखा गया था।


4. सिन्धु घाटी के लोग सनातन धर्म और संस्कृति को मानते थे।


5. सनातन धर्म अत्यंत प्राचीन है 7000 BC से भी कहीं अधिक प्राचीन।


अर्थात सनातन हिन्दू सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन व मूल सभ्यता है और सिंधु सभ्यता उसी का अभिन्न अंग हैं।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार हिन्दुओं का प्राचीन मूल निवास जम्बूद्वीप सप्त सैन्धव प्रदेश ( सिन्धु सरस्वती क्षेत्र) था जिसका विस्तार ईरान से सम्पूर्ण भारत देश तक था यही सिंधु घाटी सभ्यता थी।


जय श्री राम
⚔️🦁🚩


Popular posts
<no title>एक सुंदर लड़की और गुप्ता जी में अफेयर चल रहा था....!बात शादी तक पहुंचने वाली थी इससे पहले ही ??? एक दिन दोनो पार्क में बैठे हुए थे कि.... लडकी ने पुछा- क्या तुम्हारे पास मारूति कार है ? गुप्ता जी - नहीं...! लडकी - क्या तुम्हारे पास फ्लैट है ? गुप्ता जी - नहीं...! लडकी - क्या तुम्हारे पास नौकरी है ? गुप्ता जी - नहीं...! और.... फिर..... ब्रेक अप....!! इधर....प्रेमिका के इस तरह चले जाने से गुप्ता जी उदास हो गए और सोचने लगे कि.... जब मेरे पास पाँच-पाँच BMW कार हैं ... तो, मुझे भला मारूति की क्या जरूरत है ? जब, मेरे पास खुद का इतना बडा बंगला है तो मुझे फ्लैट की क्या जरुरत है ???? और... जब, मेरे पास 500 करोड टर्नओवर का अपना बिजनेस है और 400 लोग मेरे यहाँ नौकरी करते है तो फिर मुझे नौकरी की क्या जरूरत ???? आखिर, वो मुझे क्यों छोड गयी ??? इसीलिए.... बिना पूरी बात जाने जल्दीबाजी मे कोई फैसला नहीं करना चाहिए...! और.... सबको अपने स्टैन्डर्ड से नहीं परखना चाहिए क्योंकि हो सकता है वो आपकी सोच से ज्यादा बडा हो...! यही हालत आज हमारे सनातन हिन्दू समाज की है....! हमारे सनातन हिन्दू समाज के हर परंपराओं और हर त्योहार बदलते मौसम के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति से उसमें एडजेस्ट करने और उससे परेशान होने की जगह उसमें स्वस्थ रहने के लिए बनाए गए हैं...! झाड़ू का सम्मान करने से लेकर तिलक लगाने, हाथ में कलावा बांधने से लेकर सर पर चोटी रखने और मंदिर में घण्टा बजाने तक का वैज्ञानिक आधार मौजूद है. क्योंकि.... हमारे हर त्योहार और परम्पराएं पूर्णतः वैज्ञानिक पद्धति से बनाए गए हैं...! लेकिन.... ज्यादातर लोगों को इसका ज्ञान नहीं है इसीलिए वे इसे सिर्फ महज एक परंपरा मानकर निभाते चले जा रहे हैं...! जबकि.... हमें जरूरत है अपनी हर परंपरा और त्योहारों के वैज्ञानिक आधार को जानने की... ताकि, हम उसे ज्यादा हर्षोउल्लास से मना सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी को भी उसकी जानकारी दे सकें...! अगर हम ऐसा नहीं कर पाएंगे तो ....जानकारी के अभाव में... अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने वाले हमारी आगामी पीढ़ी .... आने वाले समय में इसे एक महज अंधविश्वास मानकर इससे किनारा कर लेंगे...! और.... हमारी आने वाली पीढ़ी का हमारे हिन्दू सनातन धर्म से "ब्रेकअप" हो जाएगा . इसीलिए.... मेरी नजर में हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है... तथा, हमें उसे निभाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए...!
<no title>👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए : "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में- ॐ . किसको किसने सुनाई? उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। ॐ . कब सुनाई? उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई। ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई? उ.- रविवार के दिन। ॐ. कोनसी तिथि को? उ.- एकादशी ॐ. कहा सुनाई? उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में। ॐ. कितनी देर में सुनाई? उ.- लगभग 45 मिनट में ॐ. क्यू सुनाई? उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए। ॐ. कितने अध्याय है? उ.- कुल 18 अध्याय ॐ. कितने श्लोक है? उ.- 700 श्लोक ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है? उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा और किन किन लोगो ने सुना? उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था? उ.- भगवान सूर्यदेव को ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है? उ.- उपनिषदों में ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....? उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है। ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है? उ.- गीतोपनिषद ॐ. गीता का सार क्या है? उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574 अर्जुन ने- 85 धृतराष्ट्र ने- 1 संजय ने- 40. अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ। कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :- 12 प्रकार हैँ आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...! 8 प्रकार हे :- वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 प्रकार है :- रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार। कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं। । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ... 🙏.⛳
<no title>👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए : "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में- ॐ . किसको किसने सुनाई? उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। ॐ . कब सुनाई? उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई। ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई? उ.- रविवार के दिन। ॐ. कोनसी तिथि को? उ.- एकादशी ॐ. कहा सुनाई? उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में। ॐ. कितनी देर में सुनाई? उ.- लगभग 45 मिनट में ॐ. क्यू सुनाई? उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए। ॐ. कितने अध्याय है? उ.- कुल 18 अध्याय ॐ. कितने श्लोक है? उ.- 700 श्लोक ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है? उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा और किन किन लोगो ने सुना? उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था? उ.- भगवान सूर्यदेव को ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है? उ.- उपनिषदों में ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....? उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है। ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है? उ.- गीतोपनिषद ॐ. गीता का सार क्या है? उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574 अर्जुन ने- 85 धृतराष्ट्र ने- 1 संजय ने- 40. अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ। कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :- 12 प्रकार हैँ आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...! 8 प्रकार हे :- वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 प्रकार है :- रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार। कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए : "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में- ॐ . किसको किसने सुनाई? उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। ॐ . कब सुनाई? उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई। ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई? उ.- रविवार के दिन। ॐ. कोनसी तिथि को? उ.- एकादशी ॐ. कहा सुनाई? उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में। ॐ. कितनी देर में सुनाई? उ.- लगभग 45 मिनट में ॐ. क्यू सुनाई? उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए। ॐ. कितने अध्याय है? उ.- कुल 18 अध्याय ॐ. कितने श्लोक है? उ.- 700 श्लोक ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है? उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा और किन किन लोगो ने सुना? उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था? उ.- भगवान सूर्यदेव को ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है? उ.- उपनिषदों में ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....? उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है। ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है? उ.- गीतोपनिषद ॐ. गीता का सार क्या है? उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574 अर्जुन ने- 85 धृतराष्ट्र ने- 1 संजय ने- 40. अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ। कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :- 12 प्रकार हैँ आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...! 8 प्रकार हे :- वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 प्रकार है :- रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार। कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं। । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ... 🙏.⛳ लोगो तक पहुचाएं। । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ... 🙏.⛳
<no title>मजे में हूँ* घुटने बोलते हैं लड़खड़ाता हूँ छत पर रेलिंग पकड़कर जाता हूँ दाँत कुछ ढीले हो चले रोटी डुबा कर खाता हूँ वो आते नहीं बस फोन पर पूछते हैं कि कैसा हूँ ? बड़ी सादगी से कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ । दिखता है सब पर वैसा नहीं दिखता लिखता हूँ सब पर वैसा नहीं लिखता आसमान और आँखों के बीच अब कुछ बादल सा है दिखता पढ़ता हूँ अखबार पर कुछ याद नहीं रहता डॉक्टर के सिवाय किसी और से कुछ नहीं कहता पूछते हैं लोग तबियत बड़ी सादगी से कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ । कभी दो रंगी मोजे जूतों में हो जाते हैं कभी बढ़े हुऐ नाखून यकायक चश्मे से किसी महफिल में दिखाई देते हैं फिर अचकचा कर उनको छुपाता हूँ कभी बीस व तीस का अन्तर सुनाई नहीं देता बहुत से काम अब अंदाजे से कर लेता हूँ कोई कभी पूछ लेता है कहाँ हूँ कैसा हूँ हँस कर कह देता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ बीत गया है लंबा सफर पर इंतज़ार बाँकी है हासिल कर ली हैं मंज़िलें पर प्यास अभी बाकी है ख़ुद तो दौड़ सकता नहीं अब अपनों में बाज़ी लगाता हूँ ठहर गयीं हैं यादें पुरानी बातें सुनाता हूँ क्या मज़ा है जिंदगी का उनके जबाब का इंतज़ार अभी बाँकी है ये दिल है कि मानता नहीं अब भी धड़कता वैसे ही है बूढ़ा तो हो चुका है पर मानता नहीं शरीर दुखता हैj पर आँखों की शरारत जारी है इसलिये तो बार बार कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ।
<no title>
Image