<no title>मजे में हूँ* घुटने बोलते हैं लड़खड़ाता हूँ छत पर रेलिंग पकड़कर जाता हूँ दाँत कुछ ढीले हो चले रोटी डुबा कर खाता हूँ वो आते नहीं बस फोन पर पूछते हैं कि कैसा हूँ ? बड़ी सादगी से कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ । दिखता है सब पर वैसा नहीं दिखता लिखता हूँ सब पर वैसा नहीं लिखता आसमान और आँखों के बीच अब कुछ बादल सा है दिखता पढ़ता हूँ अखबार पर कुछ याद नहीं रहता डॉक्टर के सिवाय किसी और से कुछ नहीं कहता पूछते हैं लोग तबियत बड़ी सादगी से कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ । कभी दो रंगी मोजे जूतों में हो जाते हैं कभी बढ़े हुऐ नाखून यकायक चश्मे से किसी महफिल में दिखाई देते हैं फिर अचकचा कर उनको छुपाता हूँ कभी बीस व तीस का अन्तर सुनाई नहीं देता बहुत से काम अब अंदाजे से कर लेता हूँ कोई कभी पूछ लेता है कहाँ हूँ कैसा हूँ हँस कर कह देता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ बीत गया है लंबा सफर पर इंतज़ार बाँकी है हासिल कर ली हैं मंज़िलें पर प्यास अभी बाकी है ख़ुद तो दौड़ सकता नहीं अब अपनों में बाज़ी लगाता हूँ ठहर गयीं हैं यादें पुरानी बातें सुनाता हूँ क्या मज़ा है जिंदगी का उनके जबाब का इंतज़ार अभी बाँकी है ये दिल है कि मानता नहीं अब भी धड़कता वैसे ही है बूढ़ा तो हो चुका है पर मानता नहीं शरीर दुखता हैj पर आँखों की शरारत जारी है इसलिये तो बार बार कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ।

मजे में हूँ*


घुटने बोलते हैं
लड़खड़ाता हूँ
छत पर
रेलिंग पकड़कर जाता हूँ
दाँत कुछ ढीले हो चले
रोटी डुबा कर खाता हूँ
वो आते नहीं
बस फोन पर पूछते हैं
कि कैसा हूँ ?
बड़ी सादगी से कहता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ ।


दिखता है सब
पर वैसा नहीं दिखता
लिखता हूँ सब
पर वैसा नहीं लिखता
आसमान और आँखों के बीच अब
कुछ बादल सा है दिखता
पढ़ता हूँ अखबार
पर कुछ याद नहीं रहता
डॉक्टर के सिवाय
किसी और से
कुछ नहीं कहता
पूछते हैं लोग तबियत
बड़ी सादगी से कहता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ ।


कभी दो रंगी मोजे
जूतों में हो जाते हैं
कभी बढ़े हुऐ नाखून
यकायक चश्मे से
किसी महफिल में दिखाई देते हैं
फिर अचकचा कर
उनको छुपाता हूँ
कभी बीस व तीस
का अन्तर
सुनाई नहीं देता
बहुत से काम
अब अंदाजे से कर लेता हूँ
कोई कभी
पूछ लेता है
कहाँ हूँ कैसा हूँ
हँस कर कह देता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ


बीत गया है लंबा सफर
पर इंतज़ार बाँकी है


हासिल कर ली हैं मंज़िलें
पर प्यास अभी बाकी है
ख़ुद तो दौड़ सकता नहीं
अब अपनों में बाज़ी लगाता हूँ
ठहर गयीं हैं यादें
पुरानी बातें सुनाता हूँ
क्या मज़ा है जिंदगी का
उनके जबाब का इंतज़ार अभी बाँकी है
ये दिल है कि मानता नहीं
अब भी धड़कता वैसे ही है
बूढ़ा तो हो चुका है
पर मानता नहीं
शरीर दुखता हैj
पर आँखों की शरारत जारी है


इसलिये तो बार बार कहता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ।


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<no title>एक सुंदर लड़की और गुप्ता जी में अफेयर चल रहा था....!बात शादी तक पहुंचने वाली थी इससे पहले ही ??? एक दिन दोनो पार्क में बैठे हुए थे कि.... लडकी ने पुछा- क्या तुम्हारे पास मारूति कार है ? गुप्ता जी - नहीं...! लडकी - क्या तुम्हारे पास फ्लैट है ? गुप्ता जी - नहीं...! लडकी - क्या तुम्हारे पास नौकरी है ? गुप्ता जी - नहीं...! और.... फिर..... ब्रेक अप....!! इधर....प्रेमिका के इस तरह चले जाने से गुप्ता जी उदास हो गए और सोचने लगे कि.... जब मेरे पास पाँच-पाँच BMW कार हैं ... तो, मुझे भला मारूति की क्या जरूरत है ? जब, मेरे पास खुद का इतना बडा बंगला है तो मुझे फ्लैट की क्या जरुरत है ???? और... जब, मेरे पास 500 करोड टर्नओवर का अपना बिजनेस है और 400 लोग मेरे यहाँ नौकरी करते है तो फिर मुझे नौकरी की क्या जरूरत ???? आखिर, वो मुझे क्यों छोड गयी ??? इसीलिए.... बिना पूरी बात जाने जल्दीबाजी मे कोई फैसला नहीं करना चाहिए...! और.... सबको अपने स्टैन्डर्ड से नहीं परखना चाहिए क्योंकि हो सकता है वो आपकी सोच से ज्यादा बडा हो...! यही हालत आज हमारे सनातन हिन्दू समाज की है....! हमारे सनातन हिन्दू समाज के हर परंपराओं और हर त्योहार बदलते मौसम के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति से उसमें एडजेस्ट करने और उससे परेशान होने की जगह उसमें स्वस्थ रहने के लिए बनाए गए हैं...! झाड़ू का सम्मान करने से लेकर तिलक लगाने, हाथ में कलावा बांधने से लेकर सर पर चोटी रखने और मंदिर में घण्टा बजाने तक का वैज्ञानिक आधार मौजूद है. क्योंकि.... हमारे हर त्योहार और परम्पराएं पूर्णतः वैज्ञानिक पद्धति से बनाए गए हैं...! लेकिन.... ज्यादातर लोगों को इसका ज्ञान नहीं है इसीलिए वे इसे सिर्फ महज एक परंपरा मानकर निभाते चले जा रहे हैं...! जबकि.... हमें जरूरत है अपनी हर परंपरा और त्योहारों के वैज्ञानिक आधार को जानने की... ताकि, हम उसे ज्यादा हर्षोउल्लास से मना सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी को भी उसकी जानकारी दे सकें...! अगर हम ऐसा नहीं कर पाएंगे तो ....जानकारी के अभाव में... अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने वाले हमारी आगामी पीढ़ी .... आने वाले समय में इसे एक महज अंधविश्वास मानकर इससे किनारा कर लेंगे...! और.... हमारी आने वाली पीढ़ी का हमारे हिन्दू सनातन धर्म से "ब्रेकअप" हो जाएगा . इसीलिए.... मेरी नजर में हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है... तथा, हमें उसे निभाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए...!
<no title>👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए : "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में- ॐ . किसको किसने सुनाई? उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। ॐ . कब सुनाई? उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई। ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई? उ.- रविवार के दिन। ॐ. कोनसी तिथि को? उ.- एकादशी ॐ. कहा सुनाई? उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में। ॐ. कितनी देर में सुनाई? उ.- लगभग 45 मिनट में ॐ. क्यू सुनाई? उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए। ॐ. कितने अध्याय है? उ.- कुल 18 अध्याय ॐ. कितने श्लोक है? उ.- 700 श्लोक ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है? उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा और किन किन लोगो ने सुना? उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था? उ.- भगवान सूर्यदेव को ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है? उ.- उपनिषदों में ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....? उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है। ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है? उ.- गीतोपनिषद ॐ. गीता का सार क्या है? उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574 अर्जुन ने- 85 धृतराष्ट्र ने- 1 संजय ने- 40. अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ। कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :- 12 प्रकार हैँ आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...! 8 प्रकार हे :- वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 प्रकार है :- रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार। कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं। । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ... 🙏.⛳
<no title>👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए : "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में- ॐ . किसको किसने सुनाई? उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। ॐ . कब सुनाई? उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई। ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई? उ.- रविवार के दिन। ॐ. कोनसी तिथि को? उ.- एकादशी ॐ. कहा सुनाई? उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में। ॐ. कितनी देर में सुनाई? उ.- लगभग 45 मिनट में ॐ. क्यू सुनाई? उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए। ॐ. कितने अध्याय है? उ.- कुल 18 अध्याय ॐ. कितने श्लोक है? उ.- 700 श्लोक ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है? उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा और किन किन लोगो ने सुना? उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था? उ.- भगवान सूर्यदेव को ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है? उ.- उपनिषदों में ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....? उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है। ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है? उ.- गीतोपनिषद ॐ. गीता का सार क्या है? उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574 अर्जुन ने- 85 धृतराष्ट्र ने- 1 संजय ने- 40. अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ। कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :- 12 प्रकार हैँ आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...! 8 प्रकार हे :- वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 प्रकार है :- रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार। कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए : "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में- ॐ . किसको किसने सुनाई? उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। ॐ . कब सुनाई? उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई। ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई? उ.- रविवार के दिन। ॐ. कोनसी तिथि को? उ.- एकादशी ॐ. कहा सुनाई? उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में। ॐ. कितनी देर में सुनाई? उ.- लगभग 45 मिनट में ॐ. क्यू सुनाई? उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए। ॐ. कितने अध्याय है? उ.- कुल 18 अध्याय ॐ. कितने श्लोक है? उ.- 700 श्लोक ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है? उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा और किन किन लोगो ने सुना? उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था? उ.- भगवान सूर्यदेव को ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है? उ.- उपनिषदों में ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....? उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है। ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है? उ.- गीतोपनिषद ॐ. गीता का सार क्या है? उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है? उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574 अर्जुन ने- 85 धृतराष्ट्र ने- 1 संजय ने- 40. अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ। कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :- 12 प्रकार हैँ आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...! 8 प्रकार हे :- वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 प्रकार है :- रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार। कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं। । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ... 🙏.⛳ लोगो तक पहुचाएं। । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ... 🙏.⛳
<no title>*🔥सच्चा भक्त🔥* *एक नगर में भगवान शिव का एक भव्य मंदिर था। जहाँ हर वर्ष दूर-दूर से भक्तजन शिवजी के दर्शन के लिए आते रहते थे। श्रावण का महीना था। दूर-दूर से कावड़िये कावड़ लेकर भगवान शिव को जलाभिषेक करने आये हुए थे। मंदिर का परिसर भक्तों की भीड़ से भरा हुआ था।तभी अचानक आकाश में बिजलियाँ गरजी और सोने का एक थाल उतरा।* *उसी के साथ एक भविष्यवाणी हुई कि, जो कोई भगवान शंकर का सच्चा भक्त और प्रेमी होगा उसी को यह थाल मिलेगा। मंदिर के परिसर में उपस्थित सभी लोगों ने यह भविष्यवाणी सुनी। धीरे-धीरे सभी इकट्ठे हो गये। जो लोग मंदिर की व्यवस्था देखते थे, उन्हें तो पूरा विश्वास था कि यह थाल हमें मिलेगा। इसलिए वे सबसे आगे जाकर खड़े हो गये।सबसे पहले एक पंडितजी आये और बोले, देखिये ! मैं प्रतिदिन महादेव का अभिषेक करता हूँ, अतः मैं ही भोलेनाथ का सबसे निकटवर्ती प्रेमी और भक्त हूँ। इसलिए थाल मुझे मिलना चाहिए। इतना कहकर पंडितजी ने थाल उठाया। जैसे ही पंडितजी ने थाल उठाया, थाल पीतल का हो गया। यह देखकर पंडितजी बड़े लज्जित हुए। उन्होंने थाल यथास्थान पर रखा और वहाँ से निकल गये।* *इसी प्रकार वहाँ उपस्थित सभी पंडितों ने खुद को आजमाया। लेकिन शायद उनमें से कोई भी सच्चा भक्त नहीं था। उन्हें भी थाल यथास्थान पर रखकर चले जाना पड़ा।इसके बाद उस नगर के राजा का आगमन हुआ। राजा साहब आगे आये और बोले, मैंने महादेव के मंदिर में बड़ी भारी दान दक्षिणा दी है। इसलिए यह थाल मुझे मिलना चाहिए।इतना कहकर राजा साहब आगे बढे और थाल उठाया। जैसे ही राजा ने थाल उठाया, थाल ताम्बे का हो गया। यह देखकर महाराज भी लज्जित हुए और थाल यथास्थान रखकर एक तरफ खड़े हो गये।* *इसके बाद इसी तरह एक से बढ़कर एक दानी-महात्मा और भक्त पधारे और थाल उठाया लेकिन किसी के हाथ में कुछ और किसी के हाथ में कुछ हो गया लेकिन सोने का नहीं रहा।तब लोगों को पता चला कि हममें से कोई भी महादेव का सच्चा भक्त नहीं है।उसी समय एक किसान का आगमन हुआ। वो बेचारा महीनों बाद आज चातुर्मास के सोमवार के शुभ अवसर पर शिवजी के दर्शन करने आया था। गरीबी और गृहस्थी के बोझ तले दबा दिनरात खेतों में मेहनत-मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का गुजारा करता था।* *अभी रास्ते में आ ही रहा था कि कोई भिखारी मिल गया और कुछ खाने को मांगने लगा। इस किसान को दया आ गई। अपने खाने के लिए जो खाना लाया था वो उसने उस भिखारी को दे दिया। थाल के बारे में इसने भी सुना था लेकिन इसने उस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। सीधा मंदिर में गया और महादेव का पूजन करके बाहर आ गया।परिक्रमा करके जाने को हुआ तभी पीछे से एक व्यक्ति बोला, भाई ! तुम भी थाल को उठाकर देख लो। हो सकता है तूम ही वह सच्चे भक्त हो जिसके लिए यह थाल आया है किसान को लगा वह व्यक्ति उसका मजाक बना रहा है। किसान ने हँसते हुए कहा, भाई ! मैं तो कभी कोई पूजा-पाठ भी नहीं करता, महीनों ने एकाध बार मंदिर आ पाता हूँ, मैं काहे का का सच्चा भक्त !* *वह अजनबी बोला, भाई ! हम तो देख चुके है। हमारी भक्ति तो दो कोड़ी की भी नहीं है। अब तुम भी अपना हाथ लगाकर देख लो। सोने का थाल मिले न मिले किन्तु पता चल जायेगा कि तुम्हारी भक्ति में कितनी सच्चाई है।लोगों के बहुत आग्रह करने पर आखिर उस भोलेभाले किसान ने जाकर थाल उठा ही लिया।जैसे ही उसने थाल उठाया लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। सोने का थाल रौशनी से चमचमाने लगा।यह देख सब लोगों में खुशियों की लहर दौड़ गई। सभी लोग उसके जयकारे लगाने लगे और पूछने लगे कि.. भाई ! तुम ही सच्चे भक्त हो।अब हमें भी बता दो कि कैसी भक्ति करते हो ? जिससे महादेव तुमसे इतने प्रसन्न है ?* *तो किसान बोला, भाई ! मैं कोई भक्ति नहीं करता। मैं केवल दिनभर खेतों में काम करता हूँ और थोड़ा समय निकालकर जरूरतमंद लोगों की मदद करता हूँ। इसके अलावा मैं कोई विशेष कार्य नहीं करता।लोग पूछने लगे, तुम लोगों की मदद क्यों करते हो ?हंसते हुए किसान बोला, सुकून ! दूसरों के चेहरे पर मुस्कान देखकर मुझे जो आनंद और ख़ुशी होती है, उसे मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता।शायद यही कारण है कि महादेव मुझसे खुश है।इसलिए दोस्तों ! हमेशा याद रखे सत्कर्म का आरंभ भी आनंद से होता है और अंत भी आनंददायक होता है दुष्कर्म का आरंभ भी दुःख से होता है और अंत भी दुखदायक होता है आप सैकड़ो मील की यात्रा करके भी दूसरों का दिल दुखाते है तो आपकी वह तपस्या, साधना और महादेव का दर्शन धूल के बराबर है।* 💠🧿💠🧿💠🧿💠🧿 ⛲⛲शुभ रात्रि जी👏⛲⛲